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कितना है आपके PF खाते में पैसा? एक SMS या मिस्ड कॉल से करें पता

सार

वैसे तो पीएफ बैलेंस पता करने के कई तरीके हैं जो कि ईपीएफ की आधिकारिक वेबसाइट पर बताए गए हैं लेकिन बैलेंस पता करने का सबसे आसान तरीका मिस्ड कॉल और एसएमएस है।

How much is the money in your PF account? Address by SMS or missed call


विस्तार

कोरोना काल के दौरान कई लोगों की नौकरी गई है। कई लोगों को अपने प्रोविडेंट फंड (पीएफ) का पैसा भी निकालना पड़ा है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अपने पीएफ अकाउंट को लेकर खास जानकारी नहीं है, जैसे- पीएफ अकाउंट का बैलेंस चेक करना आदि। वैसे तो पीएफ बैलेंस पता करने के कई तरीके हैं जो कि ईपीएफ की आधिकारिक वेबसाइट पर बताए गए हैं लेकिन सबसे आसान तरीका मिस्ड कॉल वाला है। कोविड-19 के तहत ऑनलाइन दावों पर ऑटो मोड से क्लेम सेटल किए जा रहे हैं और सिर्फ 72 घंटे में पैसे आपके खाते में आ रहे हैं। मौजूदा समय में ईपीएफओ के लगभग छह करोड़ खाताधारक हैं।

मिस्ड कॉल के लिए इस नंबर पर कॉल करें

आप सिर्फ एक मिस्ड कॉल करके पीएफ बैलेंस जान सकते हैं। इसके लिए आपको अपने पीएफ अकाउंट में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से 011-22901406 पर मिस्ड कॉल करना होगा। इसके बाद आपके पास एक मैसेज आएगा जिसमें आपको अपने अकाउंट में मौजूद पीएफ के पैसे की जानकारी मिल जाएगी।

SMS से पीएफ बैलेंस जानने के लिए इस नंबर पर मैसेज करें

इसके अलावा आप एक मैसेज करके भी पीएफ बैलेंस जान सकते हैं। हालांकि इन दोनों सेवाओं के लिए आपका यूएएन (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) एक्टिव होना चाहिए। यदि आप एसएमएस के जरिए पीएफ बैलेंस जानना चाहते हैं तो EPFOHO UAN और भाषा का कोड टाइप करके 7738299899 पर भेज दें। इस सेवा का लाभ आप हिन्दी, अंग्रेजी, पंजाबी समेत 10 भाषाओं में उठा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आप हिन्दी में बैलेंस जानना चाहते हैं तो EPFOHO UAN HIN टाइप करके  7738299899 पर मैसेज कर दें। यहां UAN के स्थान पर आपको अपना UAN नंबर लिखना होगा।

अलग-अलग भाषाओं के लिए अलग-अलग कोड हैं जो निम्नलिखित हैं।

1. अंग्रेजी के लिए कोई कोड नहीं है

2. हिन्दी- HIN

3.पंजाबी - PUN

4. गुजराती - GUJ

5. मराठी - MAR

6. कन्नड़ - KAN

7. तेलुगु - TEL

8. तमिल - TAM

9. मलयालम - MAL

10. बंगाली - BEN

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सार

सोना वायदा 0.40 फीसदी (191 रुपये) गिरकर 47,732 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। चांदी वायदा आज 0.33 फीसदी (232 रुपये) गिरकर 69,065 रुपये प्रति किलोग्राम पर रही।

Gold Silver Price: पीली धातु के प्रीमियम में गिरावट, सोने और चांदी की वायदा कीमत हई सस्ती

विस्तार

आज घरेलू बाजार में सोने और चांदी की वायदा कीमत में गिरावट आई। एमसीएक्स पर सोना वायदा 0.40 फीसदी (191 रुपये) गिरकर 47,732 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। चांदी की बात करें, तो चांदी वायदा आज 0.33 फीसदी (232 रुपये) गिरकर 69,065 रुपये प्रति किलोग्राम पर रही। पीली धातु पिछले साल के उच्चतम स्तर (56200 रुपये प्रति 10 ग्राम) से करीब 8500 रुपये नीचे है। 

वैश्विक बाजार में इतनी है कीमत

वैश्विक बाजार में हाजिर सोना 0.1 फीसदी बढ़कर 1,809.34 डॉलर प्रति औंस पर रहा। वहीं अमेरिकी सोना वायदा 0.1 फीसदी गिरकर 1,809.3 डॉलर प्रति औंस हो गया। अन्य कीमती धातुओं में चांदी 0.6 फीसदी बढ़कर 26.23 डॉलर प्रति औंस, पैलेडियम 0.1 फीसदी बढ़कर 2,812.00 डॉलर और प्लैटिनम 0.1 फीसदी गिरकर 1,102.50 डॉलर पर पहुंच गया।

पीली धातु के प्रीमियम में गिरावट

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीली धातु के प्रीमियम में गिरावट आई है। डीलरों ने इस सप्ताह आधिकारिक घरेलू कीमतों पर 1.5 प्रति डॉलर औंस तक का प्रीमियम लिया, जो पिछले सप्ताह के तीन डॉलर के प्रीमियम से कम है।


निवेशकों के लिए खुली है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना

सरकार ने जनता को सस्ती दरों पर सोना खरीदने का मौका दिया है। निवेशक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना के तहत बाजार मूल्य से काफी कम दाम में सोना खरीद सकते हैं। यह योजना सिर्फ पांच दिन के लिए (12 जुलाई से 16 जलाई तक) खुली है। इसकी बिक्री पर होने वाले लाभ पर आयकर नियमों के तहत छूट के साथ और कई लाभ मिलेंगे। सरकार की ओर से गोल्ड बॉन्ड में निवेश के लिए यह वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी श्रृंखला है। योजना के तहत आप 4,807 रुपये प्रति ग्राम पर सोना खरीद सकते हैं। गोल्ड बॉन्ड की खरीद ऑनलाइन तरीके से की जाती है तो सरकार ऐसे निवेशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम की अतिरिक्त छूट देती है। इसमें आवेदनों के लिए भुगतान 'डिजिटल मोड' के माध्यम से किया जाना है। ऑनलाइन सोना खरीदने पर निवेशकों को प्रति ग्राम सोना 4,757 रुपये का पड़ेगा। 

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Gold Silver Price

Bitcoin के साथ बिल्कुल दूसरे तरह की बात है. यहां अनुमानों पर नहीं खेला जाता क्योंकि इसका सोर्स पता है, किसी फंड मैनेजर के जरिये मैनेज किया जाता है और इसका सही रेगुलेशन भी है. साल दर साल इसमें लाभ मिलने की गुंजाइश है, सिवाय बाजार में कोई बड़ी हलचल न हो जाए.

बिटकॉइन या म्यूचुअल फंड, दोनों में किसमें पैसा लगाना फायदेमंद होगा? 
बाजार में आजकल दोनों की मांग खूब है, इसलिए यह सवाल सवाल उठ रहा है. जानकार बताते हैं कि दोनों के अपने-अपने फायदे हैं. यह खरीदने वाले पर निर्भर करता है कि उसे किसमें लाभ ज्यादा दिखता है. जैसा कि सबको पता है कि कुछ पैसों में शुरू हुआ बिटकॉइन आज 40 लाख तक पहुंच गया है. जब इतना लाभ मिलेगा तो कौन इसमें निवेश करना नहीं चाहेगा. कुछ यही हाल म्यूचुअल फंड का है. लेकिन दोनों में निवेश करने का तरीका बिल्कुल भिन्न है.


Bitcoin एक  क्रिप्टोकरेंसी है जबकि म्यूचुअल फंड निवेश का जरिया जिसमें लोग पैसे लगाते हैं और फंड मैनेजर उसका प्रबंधन करते हैं. बिटकॉइन में दो तरह से निवेश कर सकते हैं. पहला, बिटकॉइन खरीदें और उसे तब तक होल्ड करें जब तक दाम खूब न उछले. मुनाफा दिखते ही बिटकॉइन बेच कर अच्छा पैसा बना सकते हैं. दूसरा, माइनिंग के जरिये भी बिटकॉइन में पैसा कमा सकते हैं. म्यूचुअल फंड के साथ ऐसी कोई बात नहीं है. ये फंड सीधे तौर पर म्यूचुअल फंड कंपनियों, बैंक या किसी ब्रोकरेज फर्म से खरीदें जाते हैं.
बिटकॉइन-म्यूचुअल फंड में अंतर

CNBCTv18’ को बैंकबाजार के CEO आदिल शेट्टी बताते हैं कि बिटकॉइन या म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले किसी व्यक्ति को पहले ही तय कर लेना चाहिए कि निवेश में आगे क्या करना है, किस तरह का रिटर्न पाने की इच्छा है और वे रिटर्न की चाह में कितने दिन तक म्यूचुअल फंड को रोक कर रख सकते हैं. निवेश करने वाले व्यक्ति अपनी जोखिल लेने की क्षमता को भी आंक लेना चाहिए. अगर वे रिस्क लेने को तैयार हैं तो उन्हें म्यूचुअल फंड में आगे बढ़ना चाहिए.

रिस्क लेने वालों के लिए बिटकॉइन

अगर किसी एसेट की कीमत लगातार चढ़ाई पर है, दाम लगातार ऊपर भाग रहे हैं तो इसे कम अवधि के लिए लेना जोखिम का काम हो सकता है. शेट्टी कहते हैं, लेकिन हमें यह भी जान लेना चाहिए कि उस एसेट को ज्यादा से ज्यादा कितने दिनों तक लाभ की चाह में रोक कर रख सकते हैं. क्रिप्टोकरंसी में लोगों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है. इस पर शेट्टी की सलाह है कि पैसा उसी चीज में लगाना चाहिए जो पहले से जाना-पहचाना और आजमाया है, जिसके भाव गिरने-चढ़ने की संभावना कम हो. इस हिसाब से म्यूचुअल फंड ज्यादा सही है. अगर रिस्क लेने में कोई दिक्कत नहीं है तो क्रिप्टो में भी निवेश कर सकते हैं.

Share और म्यूचुअल फंड का फायदा
कुछ ऐसी ही सलाह ‘फिनवे एफएससी’ के संस्थापक और सीईओ रचित चावला भी देते हैं. चावला का कहना है, जब कोई निवेशक शेयर खरीदता है तो वह सही मायनों में मालिक हो जाता है क्योंकि कंपनी की कुछ हिस्सेदारी शेयर खरीदने वाले के पास भी आ जाती है. यही फायदा निवेशक को म्यूचुअल फंड और इक्विटी में होता है. दूसरी तरफ बिटकॉइन का बिजनेस अनुमानों पर आधारित है और इसमें यह भी पता नहीं कि इसके पीछे कौन है, किसके पास मालिकाना हक है.

Bitcoin पर भरोसा नहीं
चावला कहते हैं, बिटकॉइन लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं लेकिन इसका कोई भरोसा नहीं. रिटर्न मिलेगा ही, ऐसा निश्चित तौर पर नहीं कह सकते. जहां ज्यादा रिटर्न मिलने का अनुमान होता है, वहां रिस्क भी ज्यादा होता है. बिटकॉइन के साथ यही बात है. सो, कई जानकार सलाह देते हैं कि जिस व्यक्ति को रिस्क लेने में कोई दिक्कत नहीं, लॉन्ग टर्म में लाभ की इच्छा हो और अनुमान के साथ खेलने की आदत हो तो वह बिटकॉइन में मजे से पैसा लगा सकता है.

अनुमानों का खेला
बिटकॉइन के साथ बिल्कुल दूसरे तरह की बात है. यहां अनुमानों पर नहीं खेला जाता क्योंकि इसका सोर्स पता है, किसी फंड मैनेजर के जरिये मैनेज किया जाता है और इसका सही रेगुलेशन भी है. साल दर साल इसमें लाभ मिलने की गुंजाइश है, सिवाय बाजार में कोई बड़ी हलचल न हो जाए. हालांकि म्यूचुअल फंड में भी रिस्क कम नही है लेकिन बिटकॉइन जैसी हालत नहीं होती. बिटकॉइन की तुलना में देखें तो म्यूचुअल फंड का बिजनेस ज्यादा खुला और पारदर्शी है. हमें पता होता है कि कहां पैसा लग रहा है और बढ़ रहा है तो उसकी वजह क्या है और घाटा है तो क्यों है.

In which it would be beneficial to invest money in both Matual Fund or Bitcoin? read full details

अगर आप सोना खरीदना चाहते हैं तो जल्दी करें। दरअसल एकबार फिर सोने की कीमत में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। 

जानकारों की मानें तो कोरोना के बढ़ते कहर के बीच देश सोने की कीमत में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है। फिलहाल सोना जहां 47000 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी 70 हजार रुपये प्रति किलो के आसपास ट्रेड कर रहा है।


जानकारों का कहना है कि इस समय सोना इसलिए भी महंगा हो रहा है क्योंकि लोग कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सुरक्षित निवेश ऑप्शनों में पैसा लगा रहे हैं। सोना निवेश का एक काफी सुरक्षित ऑप्शन माना जाता है। इसीलिए सोने की चमक बढ़ रही है। वैसे पिछले साल सोना अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा था।

अगस्त 2020 में प्रति 10 ग्राम 56,200 रु पर पहुंच गया था। अगर सोने की ऑल टाइम हाई कीमत से तुलना करें तो सोना अभी 9000 रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता मिल रहा है।

सोने की कीमतों में तेजी का सवाल है तो इसके पीछे रुपये के मुकाबले डॉलर में आई मजबूती एक अहम कारण है। सर्राफा बाजार के जानकारों का कहना है कि डॉलर के मजबूत होने से रुपये का दाम नीचे गिरा है। इसक वजह से भी देश में सोना महंगा हुआ है।

सोने में निवेश राशि लगातार बढ़ रही है। इससे सोने के रेट ऊपर जा रहे हैं। जानकार मानते हैं कि ये सोने में निवेश का बढ़िया मौका है। वैसे भी सोना सुरक्षित निवेश ऑप्शन माना जाता है। इसलिए यहां निवेश करके आप पैसा सुरक्षित कर सकते हैं। रिटर्न की बात करें तो जानकार मानते हैं कि इस साल ही सोना 60-62 हजार रु प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। इस हिसाब से देखें तो मौजूदा रेट से आपको बढियां रिटर्न मिल सकता है।

आने वाले दिनों में इसकी कीमत और बढ़ोतरी की संभावन जताई जा रही है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिन घरेलू बाजार सोने की कीमत 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। इन लोगों का कहना है कि डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने, यूएस बॉन्ड यील्ड में गिरावट और अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने से सोने की तेजी को सपोर्ट मिला है। इसके अलावा कोरोना के तेजी बढ़तो मामलों को लेकर निवेशक भी घबराए हुए हैं और सोने को बेहतर निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

If you want to buy gold then hurry up. Then the land of gold has started growing

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की पटरी से उतरने से बचाने के लिए संक्रमण पर काबू पाना जरूरी है। अगर हालात ऐसे ही भयावह बने रहे और कई राज्यों में भारी स्थानीय लॉकडाउन जून तक लागू रही तो इससे अर्थव्यवस्था को 38.4 अरब डॉलर की चपत लग सकती है।

बार्कलेज ने कहा कि संक्रमण की पहली लहर पर काबू पाने के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन से मांग और रोजगार पर बुरा असर पड़ा था। दूसरी लहर में महामारी के अधिक निराशावादी परिदृश्य पर अगर शीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया और आवाजाही पर अगस्त तक प्रतिबंध जारी रहा तो वृद्धि दर गिरकर 8.8 फीसदी पर आ सकती है।

वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 10 फीसदी किया
बार्कलेज ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 11 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है।

उसके विश्लेषकों ने कहा कि संक्रमण की दर और मरने वालों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण उत्पन्न अनिश्चितता को देखते हुए वृद्धि दर अनुमान में कटौती की गई है।

टीककरण की धीमी रफ्तार भी सुधार की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। इससे पहले कई एजेंसियां वृद्धि दर अनुमान में कटौती कर चुकी हैं। आरबीआई ने भी कहा कि 2021-22 के दौरान अर्थव्यवस्था 10.5 फीसदी की दर से वृद्धि करेगी।

To avoid the derailment of the Indian economy, it is necessary to control

भारतीय उद्योग जगत की मार्च में विदेशों से ली गई वाणिज्यिक उधारी 24 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 9.23 अरब डालर पर पहुंच गई. रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के आंकड़ों में यह दर्शाया गया है. एक साल पहले इसी माह में भारतीय कंपनियों ने विदेशी बाजारों से 7.44 अरब डालर जुटाये थे.


आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2021 में जुटाई गई कुल उधारी में 5.35 अरब डालर विदेशी वाणिज्यिक उधारी (ECB) के मंजूरी रास्ते से जुटाये गये जबकि शेष 3.88 अरब डालर की राशि अंतराराष्ट्रीय बाजार से मंजूरी वाले मार्ग से जुटाये गये. इस दौरान रुपये में अंकित बांड अथवा मसाला बॉंड के जरिये कोई राशि नहीं जुटाई गई.

आपको बता दें जिन कंपनियों ने सरकारी मंजूरी के जरिये विदेशों से उधार लिया उनमें भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी), ओएनजीसी विदेश रोवुमा और आरईसी लिमिटेड ये तीन कंपनियां शामिल हैं.
आईआरएफसी ने ढांचागत विकास के लिये तीन किस्तों में 3.33 अरब डालर की राशि जुटाई वहीं ओएनजीसी विदेश रोवुमा लिमिटेड ने 1.6 अरब डालर की राशि जुटाई.आरईसी लिमिटेड ने आगे कर्ज पर देने के लिये 42.50 करोड़ डालर की राशि जुटाई. आरईसी लिमिटेड बिजली क्षेत्र में ढांचागत वित्त सुविधा देने वाली कंपनी है. 

इसके अलावा आटोमेटिक रूट से विदेशों से पूंजी जुटाने वालों में अदाणी हाइब्रिड एनर्जी जेसलमेर, भारती एयरटेल, पीजीपी ग्लास और एनटीपीसी प्रमुख कंपनियां रही. इंडियन आयल कार्पोरेशन और एमएमआर साहा इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भी प्रत्येक ने 10 करोड़ रुपये की पूंजी विदेशों से जुटाई.

Big news of indian industry

मई का महीना शुरू होते ही किसान से लेकर आम आदमी को ये जानने में दिलचस्पी रहती है कि इस बार मॉनसून कैसा रहेगा. हर कोई मॉनसून के बारे में जानना चाहता है और जानना चाहता है कि इस बार कैसी बारिश होने वाली है.

इसका अंदाजा लगाने के लिए मौसम वैज्ञानिक काम करते हैं और समुद्र में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इस बार मौसम कैसा रहने वाला है.


मॉनसून के अनुमान में ‘ली नीना’ का अहम योगदान रहता है और इसके हिसाब से मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है. साथ ही इसकी वजह से होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखकर ही आगामी मौसन का पता किया जाता है. ऐसे में जानते हैं कि ‘ली नीना’ क्या है और किस तरह इससे भारत में मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है.
जानते हैं इस बार कैसा रहेगा मौसम और ली नीना का क्या प्रभाव रहेगा…

कैसे चलता है मॉनसून का पता?


दरअसल, मॉनसून का पता लगाने के लिए मॉनसून वॉचर्स भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के पश्चिमी और पूर्वी बेसिन में सीसाविंग ट्रेम्प्रेचर पैटर्न पर पर नज़र रखते हैं. यह ‘एन नीनो’ या ‘ला नीना’ की वजह से प्रभावित होते हैं और जिसे El Nino-Southern Oscillation कहा जाता है. इसमें दो तरह की गतिविधि होती है, जिसमें एक का नाम है एन नीनो और एक का ला नीना.

इसमें ला नीना भारत में अच्छे मॉनसून के लिए जाना जाता है, जबकि एल नीनो इसके बिल्कुल विपरीत है और इसकी वजह से मॉनसून नहीं आता है. हालांकि, साल 1997 में इसके विपरीत हो गया था, क्योंकि एन नीनो के बाद भी देश में अच्छा मॉनसून आया था.


क्या होता है एन-नीनो?


एन-नीनो की वजह से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है. मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है. इसका असर दुनिया भर में दिखाई देता है. अल नीनो बनने से भारत और आस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है, जबकि अमेरिका में भारी बारिश होती है.

क्या है ला नीना?

पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. ला नीना से चक्रवात पर भी असर होता है. ये अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा को बदल देती है. इससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में काफी बारिश होती है. साथ ही भारत में अच्छी बारिश होती है.

इस बार कैसा रहेगा मौसम?

जापान के नेशनल फॉरकास्टर Jamstec के वैज्ञानिकों का अनुमान था कि 2021 की शुरुआत में ला नीना आ सकता है, इसवजह से भारत में मॉनसून ठीक रहने वाला है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल मौसम अच्छा रहने वाला है.


How to know how this monsoon will be

केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर टी रबि शंकर को केंद्रीय बैंक का चौथा डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है. शंकर बीपी कानूनगो की जगह ले रहे हैं जो 2 अप्रैल को डिप्टी गवर्नर के पद से रिटायर हो गए.


इससे पहले बीपी कानूनगो को एक साल का सेवा विस्तार मिला था. वे पिछले साल ही रिटायर होने वाले थे लेकिन सरकार ने उन्हें साल भर के लिए रोक लिया. इस साल 2 अप्रैल को वे रिटायर हो गए और टी रबि शंकर को उनकी जगह पर लाया गया है. केंद्रीय कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने शनिवार को टी रबि के नाम पर फैसला किया. टी रबि शंकर का कार्यकाल 3 साल का होगा.

कितने हैं डिप्टी गवर्नर

टी रबि शंकर के अलावा रिजर्व में तीन और डिप्टी गवर्नर हैं.
इनके नाम हैं- माइकल डी पात्रा जो मॉनेटरी पॉलिसी से जुड़ा विभाग संभालते हैं, इसके बाद हैं मुकेश कुमार जैन जो पहले कॉमर्शियल बैंकर रहे हैं, तीसरे डिप्टी गवर्नर हैं राजेश्वर राव. शंकर रिजर्व बैंक में उन विभागों को संभालेंगे जिसे कानूनगो देखते रहे हैं. इसमें फिनटेक, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, पेमेंट सिस्टम और रिस्क मॉनिटरिंग शामिल है.

रिजर्व बैंक से कब जुड़े

टी रबि शंकर बहुत पहले से रिजर्व बैंक से जुड़े रहे हैं. उन्होंने 1990 में बतौर रिसर्च ऑफिसर रिजर्व बैंक की नौकरी जॉइन की. शंकर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पढ़े लिखे हैं और वहीं से साइंस और स्टैटिस्टिक्स में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है. उनकी लिंक्डइन पोस्ट से जाहिर है कि उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ से डेवलपमेंट प्लानिंग में डिप्लोमा लिया है.


क्या है अनुभव

टी रबि शंकर पिछले साल ‘इंडियन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एंड एलायड सर्विसेज’ के चेयरमैन नियुक्त किए गए थे. यह संस्था रिजर्व बैंक की सहयोगी संस्था है. इससे पहले शंकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाओं में काम कर चुके हैं. वे पूर्व में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी जुड़े रहे हैं. वे आईएमएफ में भारत सरकार की तरफ से बॉन्ड मार्केट से जुड़े मामले देखते थे. टी रबि शंकर सेंट्रल बैंक ऑफ बांग्लादेश के साथ भी काम कर चुके हैं.


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टी रबि शंकर के मुख्य काम


टी रबि शंकर रिजर्व बैंक में कई अहम काम संभाल चुके हैं जिनमें ऋण प्रबंधन या डेट मैनेजमेंट जैसी जिम्मेदारी भी शामिल है. ये काम पहले कानूनगो देखते थे लेकिन अब शंकर के जिम्मे होगा. देश-दुनिया के अर्थशास्त्रियों में टी रबि शंकर का बहुत नाम है. वे किसी भी आर्थिक मसले पर अपना मौलिक विचार रखते हैं और उसी को आधार बनाते हुए आगे बढ़ते हैं. शंकर ने रिजर्व बैंक की कई ऐसी कमेटियों में काम किया है जिसकी अहम भूमिका देखी गई है. जैसे फंड आधारित लेंडिंग सिस्टम, कमोडिटी प्राइस की हेजिंग, कमोडिटी स्पॉट, डेरिवेटिव्स मार्केट के साथ ही वे बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट में भी काम कर चुके हैं. ये काम कैपिटल और डॉलर फंडिंग से जुड़े रहे हैं.

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