Good Health: indian economy

अगर आप सोना खरीदना चाहते हैं तो जल्दी करें। दरअसल एकबार फिर सोने की कीमत में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। 

जानकारों की मानें तो कोरोना के बढ़ते कहर के बीच देश सोने की कीमत में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है। फिलहाल सोना जहां 47000 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी 70 हजार रुपये प्रति किलो के आसपास ट्रेड कर रहा है।


जानकारों का कहना है कि इस समय सोना इसलिए भी महंगा हो रहा है क्योंकि लोग कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सुरक्षित निवेश ऑप्शनों में पैसा लगा रहे हैं। सोना निवेश का एक काफी सुरक्षित ऑप्शन माना जाता है। इसीलिए सोने की चमक बढ़ रही है। वैसे पिछले साल सोना अपने रिकॉर्ड हाई पर पहुंचा था।

अगस्त 2020 में प्रति 10 ग्राम 56,200 रु पर पहुंच गया था। अगर सोने की ऑल टाइम हाई कीमत से तुलना करें तो सोना अभी 9000 रुपये प्रति 10 ग्राम सस्ता मिल रहा है।

सोने की कीमतों में तेजी का सवाल है तो इसके पीछे रुपये के मुकाबले डॉलर में आई मजबूती एक अहम कारण है। सर्राफा बाजार के जानकारों का कहना है कि डॉलर के मजबूत होने से रुपये का दाम नीचे गिरा है। इसक वजह से भी देश में सोना महंगा हुआ है।

सोने में निवेश राशि लगातार बढ़ रही है। इससे सोने के रेट ऊपर जा रहे हैं। जानकार मानते हैं कि ये सोने में निवेश का बढ़िया मौका है। वैसे भी सोना सुरक्षित निवेश ऑप्शन माना जाता है। इसलिए यहां निवेश करके आप पैसा सुरक्षित कर सकते हैं। रिटर्न की बात करें तो जानकार मानते हैं कि इस साल ही सोना 60-62 हजार रु प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। इस हिसाब से देखें तो मौजूदा रेट से आपको बढियां रिटर्न मिल सकता है।

आने वाले दिनों में इसकी कीमत और बढ़ोतरी की संभावन जताई जा रही है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिन घरेलू बाजार सोने की कीमत 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकता है। इन लोगों का कहना है कि डॉलर की तुलना में रुपये के कमजोर होने, यूएस बॉन्ड यील्ड में गिरावट और अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने से सोने की तेजी को सपोर्ट मिला है। इसके अलावा कोरोना के तेजी बढ़तो मामलों को लेकर निवेशक भी घबराए हुए हैं और सोने को बेहतर निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

If you want to buy gold then hurry up. Then the land of gold has started growing

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की पटरी से उतरने से बचाने के लिए संक्रमण पर काबू पाना जरूरी है। अगर हालात ऐसे ही भयावह बने रहे और कई राज्यों में भारी स्थानीय लॉकडाउन जून तक लागू रही तो इससे अर्थव्यवस्था को 38.4 अरब डॉलर की चपत लग सकती है।

बार्कलेज ने कहा कि संक्रमण की पहली लहर पर काबू पाने के लिए लगे देशव्यापी लॉकडाउन से मांग और रोजगार पर बुरा असर पड़ा था। दूसरी लहर में महामारी के अधिक निराशावादी परिदृश्य पर अगर शीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया और आवाजाही पर अगस्त तक प्रतिबंध जारी रहा तो वृद्धि दर गिरकर 8.8 फीसदी पर आ सकती है।

वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 10 फीसदी किया
बार्कलेज ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 11 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है।

उसके विश्लेषकों ने कहा कि संक्रमण की दर और मरने वालों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण उत्पन्न अनिश्चितता को देखते हुए वृद्धि दर अनुमान में कटौती की गई है।

टीककरण की धीमी रफ्तार भी सुधार की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। इससे पहले कई एजेंसियां वृद्धि दर अनुमान में कटौती कर चुकी हैं। आरबीआई ने भी कहा कि 2021-22 के दौरान अर्थव्यवस्था 10.5 फीसदी की दर से वृद्धि करेगी।

To avoid the derailment of the Indian economy, it is necessary to control

Subscribe Our Newsletter