How to know how this monsoon will be - Good Health
मई का महीना शुरू होते ही किसान से लेकर आम आदमी को ये जानने में दिलचस्पी रहती है कि इस बार मॉनसून कैसा रहेगा. हर कोई मॉनसून के बारे में जानना चाहता है और जानना चाहता है कि इस बार कैसी बारिश होने वाली है.

इसका अंदाजा लगाने के लिए मौसम वैज्ञानिक काम करते हैं और समुद्र में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इस बार मौसम कैसा रहने वाला है.


मॉनसून के अनुमान में ‘ली नीना’ का अहम योगदान रहता है और इसके हिसाब से मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है. साथ ही इसकी वजह से होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखकर ही आगामी मौसन का पता किया जाता है. ऐसे में जानते हैं कि ‘ली नीना’ क्या है और किस तरह इससे भारत में मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है.
जानते हैं इस बार कैसा रहेगा मौसम और ली नीना का क्या प्रभाव रहेगा…

कैसे चलता है मॉनसून का पता?


दरअसल, मॉनसून का पता लगाने के लिए मॉनसून वॉचर्स भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के पश्चिमी और पूर्वी बेसिन में सीसाविंग ट्रेम्प्रेचर पैटर्न पर पर नज़र रखते हैं. यह ‘एन नीनो’ या ‘ला नीना’ की वजह से प्रभावित होते हैं और जिसे El Nino-Southern Oscillation कहा जाता है. इसमें दो तरह की गतिविधि होती है, जिसमें एक का नाम है एन नीनो और एक का ला नीना.

इसमें ला नीना भारत में अच्छे मॉनसून के लिए जाना जाता है, जबकि एल नीनो इसके बिल्कुल विपरीत है और इसकी वजह से मॉनसून नहीं आता है. हालांकि, साल 1997 में इसके विपरीत हो गया था, क्योंकि एन नीनो के बाद भी देश में अच्छा मॉनसून आया था.


क्या होता है एन-नीनो?


एन-नीनो की वजह से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है. मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है. इसका असर दुनिया भर में दिखाई देता है. अल नीनो बनने से भारत और आस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है, जबकि अमेरिका में भारी बारिश होती है.

क्या है ला नीना?

पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. ला नीना से चक्रवात पर भी असर होता है. ये अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा को बदल देती है. इससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में काफी बारिश होती है. साथ ही भारत में अच्छी बारिश होती है.

इस बार कैसा रहेगा मौसम?

जापान के नेशनल फॉरकास्टर Jamstec के वैज्ञानिकों का अनुमान था कि 2021 की शुरुआत में ला नीना आ सकता है, इसवजह से भारत में मॉनसून ठीक रहने वाला है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल मौसम अच्छा रहने वाला है.


How to know how this monsoon will be

मई का महीना शुरू होते ही किसान से लेकर आम आदमी को ये जानने में दिलचस्पी रहती है कि इस बार मॉनसून कैसा रहेगा. हर कोई मॉनसून के बारे में जानना चाहता है और जानना चाहता है कि इस बार कैसी बारिश होने वाली है.

इसका अंदाजा लगाने के लिए मौसम वैज्ञानिक काम करते हैं और समुद्र में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इस बार मौसम कैसा रहने वाला है.


मॉनसून के अनुमान में ‘ली नीना’ का अहम योगदान रहता है और इसके हिसाब से मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है. साथ ही इसकी वजह से होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखकर ही आगामी मौसन का पता किया जाता है. ऐसे में जानते हैं कि ‘ली नीना’ क्या है और किस तरह इससे भारत में मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है.
जानते हैं इस बार कैसा रहेगा मौसम और ली नीना का क्या प्रभाव रहेगा…

कैसे चलता है मॉनसून का पता?


दरअसल, मॉनसून का पता लगाने के लिए मॉनसून वॉचर्स भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के पश्चिमी और पूर्वी बेसिन में सीसाविंग ट्रेम्प्रेचर पैटर्न पर पर नज़र रखते हैं. यह ‘एन नीनो’ या ‘ला नीना’ की वजह से प्रभावित होते हैं और जिसे El Nino-Southern Oscillation कहा जाता है. इसमें दो तरह की गतिविधि होती है, जिसमें एक का नाम है एन नीनो और एक का ला नीना.

इसमें ला नीना भारत में अच्छे मॉनसून के लिए जाना जाता है, जबकि एल नीनो इसके बिल्कुल विपरीत है और इसकी वजह से मॉनसून नहीं आता है. हालांकि, साल 1997 में इसके विपरीत हो गया था, क्योंकि एन नीनो के बाद भी देश में अच्छा मॉनसून आया था.


क्या होता है एन-नीनो?


एन-नीनो की वजह से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है. मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है. इसका असर दुनिया भर में दिखाई देता है. अल नीनो बनने से भारत और आस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है, जबकि अमेरिका में भारी बारिश होती है.

क्या है ला नीना?

पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. ला नीना से चक्रवात पर भी असर होता है. ये अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की दिशा को बदल देती है. इससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में काफी बारिश होती है. साथ ही भारत में अच्छी बारिश होती है.

इस बार कैसा रहेगा मौसम?

जापान के नेशनल फॉरकास्टर Jamstec के वैज्ञानिकों का अनुमान था कि 2021 की शुरुआत में ला नीना आ सकता है, इसवजह से भारत में मॉनसून ठीक रहने वाला है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस साल मौसम अच्छा रहने वाला है.


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