इससे किन्नौर, शिमला और आउटर कुल्लू के बागवान घरों के नजदीक सेब बेच पाएंगे। इससे बागवान कोरोना संक्रमण के अलावा बाहरी मंडियों में ठगी का शिकार होने से भी बच सकेंगे।
प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब करीब 15 जून तक तैयार हो जाता है और बागवान मंडियों में सेब बेचना शुरू कर देते हैं। इस कारण से सेब की बिक्री के लिए प्रदेश सरकार और हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड ने अभी से मंडियों में सेब बागवानों के लिए व्यवस्था करनी शुरू कर दी है।
अभी तक प्रदेश के बागवानों को सेब बेचने में अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ता था। बागवानों को अभी तक ढली और भट्ठाकुफर मंडियों में सेब बेचने के लिए आना पड़ता था।
पिछले कुछ साल से सरकार ने पराला मंडी भी बागवानों की फसलें खासकर सेब बेचने के लिए खोल रखी है। इसके बाद भी बागवानों को सेब बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखकर सरकार अणू, मैंदली, खड़ापत्थर और जिला किन्नौर की टापरी मंडियों में सेब बिक्री के लिए बागवानों को सुविधा देने की तैयारी कर चुकी है। इन मंडियो मे सेब की बिक्री होने से बागवानों को समय और धनराशि की बचत भी होगी। बागवानों को अपने बगीचों के समीप ही सेब बेचने में मदद भी मिलेगी।
प्रदेश की पुरानी मंडियों में सेब से लदे वाहनों की भीड़ भी कम होगी और बिचौलियों की मनमानी पर भी काफी हद तक नकेल कसी जा सकेगी। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रंबध निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि आगामी सीजन में बागवानों के लिए चार मंडियों को सेब की बिक्री के लिए खोला जा रहा है। बागवानों को सेब बेचने के लिए अधिक मंडियां मिल पाएंगी और उनको परेशानी भी कम उठानी पड़ेगी।